Inteqal ki dua in hindi या kisi ke inteqal ki dua या kisi ke inteqal hone par kya padhe? इन शब्दों से लोग inteqal की दुआ को search करते हैं; और मैं आपको आज inteqal ki dua in hindi बताने जा रहा हूं.
अगर आपके यहां किसी का इनतेक़ाल हो गया है तो उन लोगों के लिए मैं जल्दी से inteqal ki dua को बता देता हूं; और अगर आप inteqal ki dua को पूरी तरह से जानना चाहते हैं (जैसे:- हदीस, तर्जुमा आदि) तो आप इस article को पूरा जरूर पढ़ें, आपको कई सारी इस्लामी दीनियात पता चलेंगी.
तो चलिए शुरू करते हैं…….
Table of Contents
Inteqal ki dua in arabic (अरबी)
ये है inteqal ki dua in arabic text :- ” إِنَّا ِللّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رٰجِعونَ “
अगर आपके यहां या आस-पड़ोस में किसी का हो गया हो तब आपको ये दुआ पढ़नी है; ये दुआ आप बिना बिस्मिल्लाह पढ़े भी पढ़ सकते हैं क्यूंकि यह एक दुआ का छोटा सा part है. और अब वज़ू बनाकर मय्यत को कब्रिस्तान ले जायें.
अगर आपको janaze ki manaz padhne नहीं आती तो आप उसे यहां देख सकते हैं…. (जनाजे की नमाज सही से पढ़ना काफी जरूरी है)
Inteqal ki dua in hindi text
Inteqal ki dua in hindi text ये है :- ” इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही रजी’उन ”
तो दोस्तों अगर आपको इनतेक़ाल की दुआ को अरबी में नहीं पढ़ पाते तो आप उसे हिन्दी में भी पढ़ सकते हैं…..
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Inteqal ki dua in hindi meaning/translation
Inteqal ki dua in hindi meaning ये है:- ” हम अल्लाह के हैं और उसी को लौट जाएंगे “
दोस्त जो हम दुआ पढ़ते हैं हमें उसका तर्जुमा भी मालूम होना चाहिए, ताकि हमें यह पता चल सके कि; हमने जो दुआ पढ़ी है वह कहना क्या चाहती है, तो मैं उम्मीद करता हूं कि आपको इनतेक़ाल की दुआ का तर्जुमा समझ में आया होगा.
Inteqal ki dua in english text
Inteqal ki dua in english text ये है:- ” Inna lillahi wa inna ilayhi raji’un “
Inteqal ki dua in english meaning
Inteqal ki dua in english meaning ये है:- Indeed we belong to Allah, and indeed to Him we will return.”
अगर आपको अरबी या हिन्दी पढ़ने नहीं आती तो आप इस दुआ को English मे भी पढ़ सकते हैं…
तो दोस्तों अभी तक जो हमने जाना वह थी इंतकाल की दुआ, जिसे आप किसी के इनतेक़ाल पर पढ़ सकते हैं; तो चलिए मैं आपको बताता हूं कि आपको इंतकाल की दुआ कब पढ़नी है….
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जब भी आप के आस-पड़ोस के घर, आपके घर, या आपके किसी मुसलमान दोस्त के घर या किसी भी मुस्लमान के इनतेक़ाल की खबर आपको मिले तो आपको इनतेक़ाल की दुआ पढ़नी है.
याद रखें कि अगर आपको किसी मुसलमान के इंतकाल की खबर कुछ दिनों बाद या कुछ सालों बाद भी मिले; तो आपको इनतेक़ाल की दुआ पढ़नी है.
तो दोस्तों हमने इंतजार की दुआ से जुड़ी ज्यादातर बातें जान लीं, लेकिन आपको या नहीं पता होगा कि; जो दुआ हमने सीखी है वह किसी बड़ी दुआ का छोटा सा हिस्सा है, तो चलिए उस दुआ को भी जान लेते हैं….
Inteqal ki full dua
दोस्तों जो हमने ऊपर इंतकाल की दुआ देखी वह एक दुआ का छोटा सा हिस्सा है, जिसे हम; किसी के इंतकाल पर पढ़ लेते हैं. हम इस छोटी दुआ को इसलिए पढ़ते हैं ताकि हम जल्दी से वफात पाए हुए इंसान के लिए दुआ कर सकें.
लेकिन यह पूरी दुआ नहीं है किसी भी मरे हुए इंसान के लिए मांगने वाली….. वह दुआ कुछ इस तरह है, आइए जानते हैं..
Inteqal ki full dua in arabic text
Inteqal ki full dua in arabic ये है:-
” وبَشِّرِ الصَّابِرِينَ الصين إذا أصابتهم مطيبة قالوا أنا لله وإنا إليه راجعون أولئك عليهم ألوات من ربهم ورحمة وأولئك هم المهتدون ”
दोस्तों आप ऊपर लिखी दुआ में देख सकते हैं कि हमारी छोटी सी दुआ इसी दुआ से आई है; अगर आप यह दुआ याद कर सके तो आप इस दुआ को ही पढ़े किसी के इंतकाल पर. वैसे आपको बता दूं कि वह दुआ (छोटी वाली) surah-al-baqrah के 156 आयत है.
और जो दुआ उपर लिखी हुई है वही आयत 155-157 है..
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” उनपर उनके रब की रहमत और रहमत होगी और वही सही राह दिखाने वाले हैं “
उपर लिखी surah-al-baqrah की आयत 155-157 का हिंदी तर्जुमा उपर लिखा है; जिसे आप पढ़ सकते हैं और याद कर सकते हैं….
आपको बता दूँ कि कि ये दुआ किसी भी बड़ी परेशानी के वक्त भी पढ़ी जाती है; ताकि अल्लाह हम पर अपनी रहमत बनाए रखें और हम उस परेशानी से जल्द से जल्द निकल पायें.
तो इससे हमें यह पता चलता है कि यह दुआ (Inna lillahi wa inna ilayhi raji’un) हम सिर्फ किसी के इनतेक़ाल के वक्त ही नहीं; तब भी पढ़ सकते हैं जब हमारे सामने कोई परेशानियां या मुश्किलातें हो, जिससे अल्लाह हम पर अपनी रहमत रखेगा.
Inteqal ki dua ki hadees
उमर बिन अबू सलामाह को उनकी मां, उम्म सलामाह से रिवायत किया कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने कहा:
” जब तुम में से किसी पर परेशानी (किसी भी किस्म की) आए, तो वह कहे: ‘असलियत में, हम अल्लाह के हैं और उसी ही के हैं। हे अल्लाह, मैं अपने दुख के लिए तुम्हारे साथ इनाम चाहता हूं, इसलिए मुझे इसके लिए इनाम दें, और इसे मेरे लिए कुछ बेहतर के साथ बदलें (इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैही रजिउन अल्लाहुम्मा इंदका अहतासिबु मुसिबती फ’जुरनी फ़िहा वा अब्दिलनी मिन्हा खैर) “
ये उसी दुआ का हिस्सा है जो मैंने आपको उपर बताया, इसलिए आप उस बड़े वाले दुआ यानी surah-al-baqrah का 155-157 आयत पढ़ें.
और, एक बात और याद रखें कि यह दुआ केवल किसी के इंतकाल की खबर सुनने पर ही नहीं पढ़ी जाती है; अगर आपको कोई तकलीफ, परेशानी, नाकामयाबी, बनती बात बिगड़ना आदि तब भी आप ये दुआ पढ़ सकते हैं या जरुर पढ़ें.
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