Hajj ke farz in hindi जानना हर मुसलमान के लिए जरूरी है, क्योंकि बिना hajj ke faraiz kitne hain? जाने हमारा हज कबूल नहीं होगा.
जैसा कि हमने आपको इससे पहले की हज से जुड़ी पोस्टस में बताया की हज के अरकानों को ना मानने से हज नहीं होता; ठीक इसी तरह हज के फर्ज ना मानने से हज ही नहीं होता यानी आपको हज करने का सवाब नहीं मिलेगा.
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Hajj ke faraiz kitne hain?
“हज में कुल तीन चीज़ें फर्ज हैं, अगर इन तीन फरजों में से एक भी फर्ज छुट जायगा तो हज ही नहीं होगा और दम करने भी इसकी अदायगी नहीं होगी।”
अगर किसी के हज के वाजिबात छूट जाते हैं, तो उसका हज मुकम्मल तो हो जाता है, लेकिन उसके वाजिबात छुट जाते हैं; जिस वजह से उसे दम करना होता है, दम का मतलब होता है, एक बकरा कुर्बान करना.
हज करने से पहले इन चीजों को जान लें। –
- हज की शरतें कितनी हैं।
- हज के अरकान कितने हैं।
- हज के वाजिबात कितने हैं।
- हज में किस चीज का पैसा लगता है।
- हज का खर्चा कितना होता है।
- भारत में हज करने का खर्चा कितना है।
Hajj ke farz in hindi
- एहराम का बांधना।
- वुकुफ ए अरफा करना।
- तवाफ ए जियारत करना।
दोस्तों इन इन 3 फरजों को अदा करना जरूरी है, और इन तीनों को अदा करना ही हज कहलाता है; साथ ही साथ इन तीनों फराइज को सही वक्त पर और सही जगह पर करना वाजिब है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें.
आइए अब हम उन तमाम फरजों को तफसील से जान लेते हैं; ताकि आपसे गलती से भी कोई गलती ना हो और आपका हज सही तरीके और सुन्नत तरीके से मुकम्मल हो जाए.
एहराम का बांधना।
एहराम का बांधना हज के फराइज हैं, और इसको मिकात से पहले बांधा जाता है; एहराम बांधने का मतलब यह है, कि आपके दिल में हज की नियत का होना.
बहुत से लोगों का यह सवाल होता है, कि हम नियत तो कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं; लेकिन आपको बता दें नियत दिल के इरादे का नाम है, और हज की नियत मिकात में ही बांधी जाती है, ऐसा ना करने से हज मुकम्मल नहीं होता.
हज से पहले नमाज़ पढने का सही तरीका जरूर जानें।
- फजर की नमाज का तरीका।
- जोहर की नमाज का तरीका।
- असर की नमाज़ का तरीका।
- मगरिब की नमाज़ का तरीका।
- ईशा की नमाज का तरीका।
- मस्जिद में नमाज अदा करने का सही तरीका।
वुकुफ ए अरफा करना।
वुकुफ ए अरफा करना हज के फर्ज हैं, वुकूफ ए अरफा का मतलब अराफात के मैदान में ठहरना भले ही एक ही मिनट के लिए लेकिन ठहरना जरूरी है, और वो भी खास वक्त पर.
जो लोग हज के लिए मक्का गए हैं, उन्हें 9 जिलहिज्जा को जोहर के वक्त से लेकर 10 जिल-हिज्जा के सुबह सादिक से पहले पहले तक अराफात के मैदान में पहुंचकर ठहरना जरूरी है.
अराफात के मैदान में ठहर कर अल्लाह का जिक्र ओ अज़कार, तलबिया पढ़ा जाता है; साथ ही साथ हमारे नबी सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम पर दुरुद ओ सलाम भेजा जाता है.
जुमे का बयान जरूर पढें। –
- जुम्मे के दिन सुरह कहफ पढ़ने के फायदे।
- जुम्मे के दिन इस सुरह को जरूर पढना चाहिए।
- जुम्मे के दिन क्या करना चाहिए?
- जुम्मे की नमाज का तरीका।
तवाफ ए जियारत करना।
आखिर और सबसे अहम तवाफ ए जियारत करना यह फर्ज है; और इसे 10 जिलहिज्जा कि सुबह से लेकर 12 जिलहिज्जा को सूरज डूबने से पहले पहले तक करना फर्ज है.
तवाफ ए जियारत करने से पहले बालों को गंजा या छोटा कर दिया जाता है, जो कि हज की वाजिबातों में से एक है, और बालों को छोटा करने के बाद तवाफ ए जियारत की जाती है.
दोस्तों इन तीनों फर्जों को सिलसिलेवार तरीके से करने कोई हज कहते हैं; यानी कि आपको पहले एहराम बांधना है, उसके बाद अराफात के मैदान में ठहरना है, और आखिर में तवाफ ए जियारत करना है.
इन चीजों की मालूमात होना हर मुसलमान को होना चाहिए। –
- कुरान में कितने सजदे हैं, और उनके फायदे।
- फर्ज नमाज के बाद की तस्बीह।
- फर्ज नमाज के बाद की दुआ।
- हर नमाज़ के बाद की दुआ।
आज आपने क्या जाना?
दोस्तों आज हमने आपको hajj ke faraiz kitne hain? Hajj ke farz in hindi में बताया उम्मीद है; आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको आपके तमाम सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे.
हज एक फर्ज इबादत है, और इस फर्ज इबादत में भी कुछ चीजें फर्ज हैं; जिनको ना करने से हज नहीं कबूल होता इसलिए इन तमाम चीजों की जानकारी हर मुसलमान को पता होनी चाहिए.
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अल्लाह हाफिज !!!